SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रेणिक बिम्बसार मुनियो को प्राय आहार दान दिया जाता है । पुष्पदन्त - किन्तु यह श्राजकल युद्ध की तैयारी कैसी की जा रही है ? धनदत्त - तैयारी क्या, युद्ध तो सभवत प्रारभ हो गया है। कुवेरदत्त -- यह युद्ध किसके साथ हो रहा है ? धनदत्त - चम्पा के राजा दृढवर्मा के साथ । कुवेरदत्त -- इस युद्ध का कारण क्या है ? धनदत्त- बात यह है कि दृढवर्मा की राजधानी चम्पापुर जैनियो का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है । कुवेरदत्त - उसमे जैनियो के तीर्थपने की क्या बात है ? धनदत्त – वहा जैनियों के बारहवे तीर्थकर भगवान् वासुपूज्य की निर्वाण भूमि है । पुष्पदत्त - तो वहा तीर्थ होने के कारण अग तथा मगध का युद्ध क्यो आरम्भ हो गया । धनदत्त- बात यह है कि रानी चेलना वहा वासुपूज्य भगवान् के स्मृतिचिह्न बनवाना चाहती थी । किन्तु दृढवर्मा ने इसमें न केवल हस्तक्षेप किया, वरन् रानी चेलना के प्रति अत्यन्त अपमानजनक शब्दो का प्रयोग किया | कुवेरदत्त - किन्तु दृढवर्मा तो रानी चेलना का भानजा है। उसने अपनी मौसी के सम्मान का भी ध्यान न रखा ? धनदत्त - तो इसी का फल उसे चखाने के लिये तो प्रधान सेनापति जम्बूकुमार की अध्यक्षता मे नगध सेना ने चम्पापुर पर चढाई की है । पुष्पदन्त - जैन राजा तो जैन राजा पर चढाई किया नही करते। यह युद्ध कैसे आरम्भ हो गया । धनदत्त - दृढवर्मा जैन नही वरन् बौद्ध है । उसके माता-पिता जैन थे, किन्तु दृढ़वर्मा निर्वासित जीवन मे बौद्ध बन गया था । कुवेरदत्त - तो उसकी सहायता तो उसके नाना राजा चेटक तथा मौसेरे भाई राजा उदयन कर रहे होगे । २५६
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy