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बिम्बसार का परिवार पुष्पदन्त-किन्तु एक बात बड़ी आश्चर्यजनक है । रानी चैलना के सातो राजकुमार एक से एक बढ़कर सुन्दर है।
कुवेरदद-अजी उनमे सबसे बड़े कुणिक का चेहरा तो तेज से बेहद दमकता है । सुनते है उसका लौकिक नाम अजातशत्रु रखा गया है।
धनदत्त-किन्तु, भाई सुनते है कि उस राजकुमार के ग्रह अपने पिता के लिये अच्छे नही है । जब यह गर्भ मे था तो रानी चेलना को यह दोहद हुआ था कि वह राजा श्रेणिक को रक्त मे लथपथ इस प्रकार देखे कि उसके वक्षस्थल से रक्त की अविरल धारा बह रही है।
पुष्पदन्त-उस दौहद को किस प्रकार पूर्ण किया गया ? धनदत्त-उसको इन्द्रजाल विद्या द्वारा पूर्ण किया गया था।
कुवेरदत्त-रानी चेलना के द्वितीय पुत्र वारिषेण के धार्मिक जीवन की भी जनता मे बहुत चर्चा है।
पुष्पदन्त-तो क्या उसके तृतीय पुत्र हल्ल तथा चतुर्थ पुत्र विदल्ल कुछ कम धार्मिक है? .
धनदत्त-आपकी यह बात ठीक है। रानी चेलना के सभी पुत्र एक से एक बढकर धार्मिक *। उसके पाचवे, छठे, तथा सातवे पुत्र जितशत्रु, गजकुमार तथा मेघकुमार विशेष पराक्रमी है।
कुवेरदत्त-अजी तो सम्राट् की कौशल रानी क्षेमा के पुत्र ही गुणो मे कौन से कम सुन्दर तथा पराक्रमी है ?
धनदत्त-यह बात तुम्हारी ठीक है । बात यह है कि उच्चवश की विशेषताए इसी प्रकार प्रकट हुआ करती है।
पुष्पदन्त-तो क्या सम्राट के महलो से बौद्ध धर्म तथा बौद्ध साधुओ का एकदम बहिष्कार हो गया ?
धनदत्त-नही, उनकी कौशल रानी तथा नन्दश्री अभी तक भी बौद्ध हैं । उनके कारण राज्य भवन मे बौद्ध साधुओ का गमनागमन होता ही रहता है। किन्तु रानी चेलना तथा सम्राट् की जैन धर्म पर अटल श्रद्धा है, जिससे वहा जैन
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