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________________ बिम्बसार का परिवार धनदत्त-मगध-महामात्य ने उनको राजाश्रेणिक के उनके साथ के संबन्ध को पुनः स्मरण करा कर उनको पहिले ही तटस्थ कर दिया है। वास्तव में उनके लिये तो राजा श्रेणिक तथा दृढवर्मा दोनों ही उनके सम्बन्धी है। फिर जैन होने के कारण राजा श्रेणिक दृढवर्मा की अपेक्षा उनके अधिक निकट है। पुष्पदन्त-क्या यह युद्ध अधिक विकटो सकता है ? धनदत्त-विकट क्या हो सकता है ? अग की मगध के मुकाबले शक्ति ही क्या है ? विजयी मगध-सेना का वेग वह एक सप्ताह संभाल ले तो बहुत समझो। कुवरदत्त-तो उसने मगध को युद्ध का निमन्त्रण किस बल पर दे दिया ? धनदत्त-चीटी के जब भरने के दिन आते हैं तो उसके पख निकल आते है। कुवेरदत्त-क्या इस युद्ध को किसी प्रकार टाला नही जा सकता था ? धनदत्त-सम्राट् अपमान को कडवे घूट के समान पी जाते तो इसको सुगमता से टाला जा सकता था। पुष्पदन्त-अच्छा, आज समझा मै इस युद्ध के रहस्य को।
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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