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पं० सत्यनारायण कविरत्न श्रीटोमस प्रिय प्रभृति सु देविदास । औरो अनेक जिनको सुयश प्रकास ।। शार्दीय काल बहु दुःख उठाय भारे । प्राचीनवीन सब मित्र इते पधारे । कीन्हो प्रफुल्ल हम वित्त तव कृपा मो।
बैंकस्तु थेंक्स तुमको सब भाँति यासो॥ इङ्गलैण्ड भाषा उद्धार वारे । धरै सदा ये सु पूर्व को तेज । हिल्लोर के सग कहो पियारे । “चिरायु होये सजोन्स कोलेज ॥"
जिस समय प्रोफेसर सरकार सेण्ट जान्स कालेज छोडकर आगरा कालेज गये थे, उस समय भी सत्यनारायण ने कविता बनाई थी। प्रिन्सिपल डरेण्ट, श्रीयुत राजू, श्रीयुत त्रिवेदी इत्यादि के लिये सत्यनारायण ने ही अभिनन्दन-पत्र तैयार किये थे।
विशप डरैण्ट की सम्गति सन् १७ मे सत्यनारायणजी ने वी ० ए० परीक्षा दी, लेकिन फेल हो गये । एक दिन प्रिन्सिपल डरेण्ट साहब ने कहा---
“Passing B A is not the goal of a man's life,,
"कि केवल परीक्षा पास कर लेना ही मनुष्य-जीवन का उद्देश नही है।" इस बात को बहुतो ने एक कान से सुनकर दूसरे में बाहिर निकाल दिया। पर सत्यनारायण पर उसका पूरा-पूरा असर हुआ और उन्होने उसी वर्ष से कालेज जाना छोड दिया।
विशप डरैण्ट (Right Reverant H. B. Durrant, M. A., D. D, Lord Bishop Lahore) ने अपने २० मार्च सन् १९१६ के पत्र में लिखा था--
“Satyanarain was a pupil of mine for some years at St John's College, Agra. I remember him well. I had a