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अभिनन्दन-पत्र
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सेण्ट जान्स कालेज के Old boys association ( पूर्व विद्यार्थीसम्मेलन) के दिन सत्यनारायण ने जो पद्य-रचना की थी उसका कुछ अश नीचे उद्धृत किया जाता है।
क्यो ये प्रसन्न मुख आज प्रकाशमान । क्यो ये सुरम्यमन कज विकाशमान ।। उत्साह क्यो जु लघु दीर्घन मे समान । प्राचीन-शिष्य-शुभ-उत्सव विद्यमान ॥ ऐसो दुचन्द सुखकारक दृश्य देख । आनन्द-मग्न मन होत जु मो बिशेष ।। देख्यो अतीव अब प्रेम जु औ निवाह । प्रत्येक वर्ष तव ऐस मिलाप चाह ।। यासो हि क्योकि मिलिबो जग बीच नीको। याके विना सफल हास्य प्रियत्व फीको । कालेज प्रेम कछुई हिय मे जगाओ। तो सेलिब्रेशन ही वर्ष प्रत्येक आओ ॥ ... .. .. .. .. . .. . .. .. .... बो नो प्रवीण नय हास्य रसाधिकारी साहित्य-मग्न उर जास सुप्रेम भारी ।। सर्दारसिह बर्नी अरु स्वर्णकार । दत्त प्रयत्न तव धन्य रच्यो अपार ॥ श्रीमत् डरैंट प्रिसीपल धर्मधीर । हेथोनवेट गुणशील समान बीर ॥ न्यायोपकार रत विज्ञ उदार हीय । हो छात्रप्रेम परिपूर्ण उर त्वदीच ॥ श्री हटले अति प्रफुल्लित चित घोष । घश्यामदास शर्मा... ... ... ... ... ... ...