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प० सत्यनारायण कविरत्न
श्रीमान् पडित अम्बिकादत्तजी व्यास के स्वर्गवास पर सत्यनारायण ने कई पद्य बनाये थे । अन्तिम पद्य यह था
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कामिनी काव्य किलोल भरी अति चाय सो डोले महा मदमाती । आप के बाह भरोसे बिना वह रोय रही जलधार चुचाती । व्यास जू हाय चले कितको तुम छाडि चले किहि पै यह थाती । हाय रे हाय विना तुमरे फटि जाति है भारतवर्ष की छाती ।
महारानी विक्टोरिया के मरने पर भी सत्यनारायण ने तुकबन्दी की थी । उन को के अन्तिम शब्द ये थे : ---
'रूप की छटोरिया' 'दुख-नीति की वटोरिया ' ' रस की कटोरिया' और "भारत को त्याग गई हाय बिक्टोरिया ।"
कभी-कभी मजे मे आकर वे आधी अंग्रेजी और आधी हिन्दी मे भी कविता कर डालते थे । यथा-
Doing kindness to me
सुकृपानिधि आन इते पग धारिये ।
No one helps without you
इतनी हूस्वामि हिये में बिचारिये ।
Ah should, I go where Shyam !
सुशेष के शायी कलेश निवारिये ।
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That's prayer Satya to-day
दुखमोचन लोचन कोर निहारिये ।
स्वामी रामतीर्थ के व्याख्यानों का प्रभाव
जब स्वामी रामतीर्थजी ने मथुरा मे व्याख्यान दिये थे, तब सत्यनारायणजी आगरे से कई साथियो के साथ उनके व्याख्यान सुनने मथुरा गये
। एक बार स्वामी जी ने सत्यनारायण को आचमन के लिये अपने