________________
अन्तिम दिवस और मृत्यु २७।३।१८ को सत्यनारायणजी ने निम्नलिखित पत्र श्रीयुत सूर्यनारायणजी अग्रवाल (इटावा) को भेजा था
२७ । ३ । १८
आगरा श्रीमन्,
प्रणाम
पिछला पत्र आपका यथासमय आया, किन्तु उस समय प्लेग के कारण स्कूल बन्द था। आज सेक्रेटरी के यहाँ से मिला । उसे देखकर लाज मे डूब गया हूँ। तत्प्रायश्चित-रूप मै इन्दौर जा रहा हूँ। आपकी उदारता मे विश्वास है कि आप क्षमा करेगे । उन दिनो "मालती माधव्" छप रहा था । कहाँ ? बेलनगज मे, जहाँ प्लेग फूट रहा था। ११ फर्मे अथवा ६ अक छापकर प्रेस बन्द हो गया। उसी झगडे मे आपको सेवा मे न आ सका । क्षमा करिये और दया बनाये र हये।
आपका-सत्यनारायण बात यह थी कि सूर्यनारायणजी ने पडितजी को अपने पत्र मे लिखा था कि, 'इटावा नागरी प्रचारिणी सभा के उत्सव के समय आपको तीन साल से निमन्त्रण दे रहा हूँ। आपने प्रत्येक बार स्वीकार भी कर लिया लेकिन आने की कृपा एक बार भी नही की । अबकी उत्सव २३-२४ मार्च को होनेवाला है। आपने मेरे दो पत्रो का उत्तर भी नहीं दिया। मुझे बड़ा दु.ख है कि आप मुझसे नाराज हो गये है, इत्यादि'।
इन्दौर-आगमन अष्टम हिन्दी साहित्य-सम्मेलन के साहित्य और प्रदर्शनी-विभाग का काम मेरे सुपुर्द था। एडवर्ड हाल मे बैठा हुआ मै प्रदर्शनी की तैयारी मे लगा था कि इतने मे सत्यनारायणजी वहाँ आ पहुँचे । बड़े प्रेम के साथ उन्होने मुझे गले लगा लिया। श्रीयुत गिरिधर शर्मा नवरत्न के आज्ञानुसार मैने सत्यनारायणजी को एक तार भी इन्दौर आने के लिये दिया था और