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________________ १३८ पं० सत्यनारायण कविरत्न लगभग समाप्त प्रायः हो चुका है । आशा है कि एक सप्ताह में अनुवाद कार्य्यं हो चुकेगा । आपका उत्तर रामचरित और मालती माधव दोनो Punjab University की क्रम से High Proficiency and Honors Examinations से prescribed हो गये है । इस हेतु आपको तथा श्रीमान्भवन को बधाई" । इसी दिन सत्यनारायणजी ने पं० पद्मसिंहजी शर्मा को लिखा था -- गत दिसम्बर के प्रारम्भ से ही मै आपके "मालती - माधव" मे लग रहा था । साधारणतया जैसे-तैसे उसे आज समाप्त कर पाया है । यथासम्भव भाषा का सुधार भी किया गया है। एक प्रकार से उसे गढ दिया है । अब जड़ने का अथवा विविध प्रस्तावो द्वारा उसमें अभिनवत्व लाने का कार्य आप के लिये अलग रख दिया है। एक बार उसे और देख लूँ फिर आपकी सेवा मे भेजने का यत्न किया जाय । आशीर्वाद दीजिये जिससे इस दुस्तर कार्य्यं से शीघ्र निस्तार मिलै" । इसके उत्तर मे पं० पद्मसिंह शर्मा ने लिखा था--" मालती - माधव" की आप पुनरालोचना कर गये । बहुत अच्छा हुआ । मैं उसे फिर आद्योपान्त एक बार आपसे सुनना चाहता हूँ । कोई ऐसा मौका मिले कि श्री प० शालग्रामजी, बन्दा और हजुर सब एक जगह ४-५ दिन के लिये इकट्ठे हो सकें तो ठीक काम बने। क्या आप इन्दौर सम्मेलन मे जायँगे ? श्रीमती सावित्री देवीजी के नाम पत्र ता० ११ । २ । १८ को रात के बारह बजे सत्यनारायणजी ने श्रीमती सावित्री देवी के नाम जो पत्र लिखा था, वह देवीजी के पास सुरक्षित था । उन्होने मुझे वह पत्र दिखलाने की कृपा की थी । उसमें लिखा था- ११२१८ अन्धेर कैसा कर रही है बेवफ़ाई आपकी । " चार दिन को चाँदनी थः xx आपकी ॥
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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