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________________ विवाह १०५ ऐसा सम्बन्ध करने के पूर्व यथासम्भव मै आप की सेवा मे आऊँगा केवल स्वास्थ्य-परीक्षा के लिये । तत्पश्चात कोई काम होगा--इस ओर से आप निश्चिन्त रहे । यदि दैव-संयोग से किसी विकट समस्या मे फँसना ही पडा लो आप को तार द्वारा अवश्य सूचना दी जायगी, विश्वास रखिये। अब मै कुछ-कुछ स्वतंत्रतापूर्वक स्वास ले उठा हूँ। अब आपको सवा में तुकबन्दी भेजा करूंगा। आपका--- सत्यनारायण ९ अक्टूबर सन् १९१५ को श्रीयुत मुकुन्दरामजी ने निम्नलिखित पत्र फिर सत्यनारायणजी को लिखा "श्रीयुत मान्यवर महोदयजी, मैने आपके पास एक पत्र विवाह के सम्बन्ध मे ता० १७ सितम्बर १९१५ को डाला था। अब तक प्रतीक्षा कर रहा हूँ, उत्तर नही दिया। कृपया वापसी डाक उत्तर प्रदान करे। पं० ब्रजनाथजी की भेजी हुई पत्रिका "स्त्री-सुधार" नामी ट्रेक्ट को समालोचनावाली तो पहुँच चुकी है। विवाह के सम्बन्ध मे अब आपके क्या विचार रहे ? स्वास्थ्य कैसा प्रमाणित हुआ ? आपके कारण हमने औरो से अभी तक बात भी नही की है। वापसी डाक उत्तर देने की कृपा करे। हम विजया दशमी--दशहरा पर वाग्दान (सगाई) की रसम अदा करना चाहते है । सगाई भेजी जावेगी। ____ अगहन मे विवाह करने को तैयार है या नहीं ? क्या सम्मति है ? आप भी कन्या को देखना चाहते हो तो आकर देख जायँ । यह बात कुछ
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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