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________________ विवाह १०१ इसके बीस-बाईस रोज़ बाद श्रीयुत मुकुन्दरामजी ने जो पत्र सत्यनारायणजी के नाम भेजा था उसकी ज्यों की त्यो नकल यहाँ दी जाती है । स्थान ज्वालापुर ( हरिद्वार ) जिला--सहारनपुर तारीख १५ जून १६१५ ई० तिथि ज्येष्ठ सुदी ३ भौमवार सवत् १९७२ । मान्यवर महोदय श्रीयुत पण्डित सत्यनारायण जी शर्मन् नमस्ते आप के विवाह सम्बन्ध मे मैने अब तक पत्र-व्यवहार पं० वजनापजी गोस्वामी शीतलागली, आगरा के साथ किया था। अब आगे आप से ही सब पत्र-व्यवहार करना उचित समझता हूँ। आप स्वयं ही पत्र-व्यवहार कीजिये। ___ आप विवाह कब तक कर सकते हैं ? हमने आपके और कन्या के नाम से सुझवाया था तो ता० ३ जौलाई १६१५ तदनुसार मिति आषाढ बदी ७ या ८ निकलती है । आप इस तिथि पर कर सकते है या नही ? और सर्व प्रकार की तैयारी वस्त्र-आभूषण आदि की कर सकेगे या नहीं ? हम विवाह मे अधिक व्यय करने में असमर्थ है ; क्योकि ४ वर्ष से हमने स्री-शिक्षा-व्रत धारण किया हुआ है और बिना कुछ लिये हुए ही इतना बडा कठिन काम सिर पर उठा रक्खा है । हम एक साधारण आदमी और एक निर्धन ब्राह्मण है। इस संस्था से पूर्व भी अनेक नौकरी करते हुए प्राय: ब्राह्मणत्व ही का ध्यान रक्खा है और धन-संग्रह नही किया। हॉ, हम से जो कुछ बना है, अपने परिवार तथा अन्य मित्रों की शिक्षा मे सर्वदा तत्पर रहे है और मेरी स्त्री ने भी स्त्री शिक्षावत के लिये भिक्षुकों की भॉति जीवन कर रक्खा है जो हमारे परस्पर के व्यवहार द्वारा आप
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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