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________________ १०२ पं० सत्यनारायण कविरत्न जान सकेंगे। हमने आपकी वृत्ति अपने अनुकूल देखकर ही आप को कन्या के योग्य पसन्द किया है । इसमे सन्देह नही कि हमारी प्रिय पुत्री सर्व प्रकार योग्य है-सुन्दर, हृष्ट-पुष्ट, गृह-कार्यदक्षा, विदुषी और सर्व कार्यो मे प्रवीणा है। इस प्रकार की ब्राह्मण-कन्या बहुत ही कम निकलेगी जिसके पवलिक मे भाषण देहली, लखनऊ, मंसूरी आदि मे हुए हैं और जो इस आश्रम के कार्यार्थ भ्रगण मे प्राय: भाषण करती रही है और लेख भी अच्छे लिख लेती है। हार्मोनियम बजाना-गाना भी जानती है । गोस्वामीजी परीक्षा कर भी चुके है, उनसे समाचार मिले ही होगे । आयु भी १६ वर्ष की है। सर्व प्रकार योग्य है । उसको योग्य बनाने मे ही हमने अपना तन, मन, धन अब तक लगाया है । इसलिये धन-हीन है । हमसे धन की आशा तो रखना व्यर्थ होगा। हाँ, हमारे व्यवहार मे आप सर्वदा प्रसन्न रहेगे, यह आशा है । हाँ, हमने आपके स्वास्थ्य-सम्बन्धी सब बाते जो हमे अन्वेषण द्वारा प्रकट हुई थी अपनी प्रिय पुत्री को जता दी है तथा आपके सम्बन्ध की अन्य बात भी प्रकट कर दी है। वह भी आप के गुणो को अपने अनुकूल समझ कर अन्य कई वरो मे से आपको ही पसन्द करती है। हम भी इसलिये उससे सहमत है। कन्या का नाम सावित्री देवी है और वह शारीरिक दशा को प्रकट करने पर प्राचीन समय की महाभारतवाली "सावित्री सत्यवान्" की तरह अपने भाग्य को ईश्वर अधीन करती है । हम भी उसके इस दृढ सच्चे विश्वास से अधिक प्रसन्न हुए है, और इसलिये ही हमारे परिवार के इतर सज्जनो तथा मित्रों ने भी आपके साथ सम्बन्ध को सर्वथा अनुकूल ही समझ लिया है। आपकी सम्मति और विचार क्या है ? आपके उत्तर आने पर हम ५) पाँच रुपये वाग्दान (सगाई) की रीति के तौर पर मनीआर्डर द्वारा भेज देवेगे । वापसी डाक उत्तर दीजिये। शीघ्र से शीघ्र आप विवाह कर सकेंगे ? ज्वालापुर-आगरे में बड़ा अन्तर है और मार्ग-व्यय अधिक होगा। इसलिए सोच-विचार कर ही
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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