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________________ फीरोजाबाद मे आगरा-प्रान्तीय-सम्मेलन जाय कहाँ अब, बनहि तुम्है यहि पाले पोसे । याको बल याको जीवन बस आप भरोसे ।। निरालम्ब यह अम्ब याहि अवलम्बनु दीजै। तनसो मनसो धनसो याकी उन्नति कीजै ।। यही रहति जननी की केवल नित अभिलाषा। सफल होहि तुव सबै उच्च उन्नत प्रिय आशा ॥ सकल ओर अभ्युदय-सूर्य की किरनि प्रकारौं। नसहि अविद्या रैनि ज्ञान-नय-कमल बिकासे । जागृति त्रिविधि बयारि बसन्ती नित सरसावें । निरमल पर उपकार हृदय मधि लहरि सुहावै ।। सोहै सुजन रसाल प्रेम मंजरि चहुँ छाये। निजभाषा रुचि लता अङ्क लहि परम सुहाये । कवि कोयल सत्काव्य कूक अपनी उच्चारैं। गुनिगुन गाहक रसिक भ्रमर मंजुल गंजारें ॥ जगमगाय जातीय प्रेम सुधरै चरित्रबल । सब के हो आदर्श उच्च उत्तम अरु उज्ज्वल ।। बिद्या बिनय बिवेक प्रकृति छवि मनहि लुभावै । दुख को हो बस अन्त देस भारत सुख पावै ॥ परब्रह्म परमातम घट-घट अन्तरजामी। पूरहि यह अभिलास सत्यनारायण स्वामी ।। इसी सम्मेलन मे सत्यनारायणजी ने पैसा-फड की अपील और सम्मेलन पचपदी शीर्षक कविताएँ भी पढी थी। ये परिशिष्ट मे दो गयी हैं। फीरोजाबाद में आगरा-प्रान्तीय सम्मेलन फ़ीरोजाबाद तथा उसके निवासियों पर सत्यनारायणजी की विशेष कृपा थी। इसलिये जब फीरोजाबाद मे आगरा-प्रान्तीय सम्मेलन हुआ तो
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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