SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 180 उपात्तप्रमाणानि पु. सं पङ्क्ति सं. सोऽविद्याग्रन्थि विकिरतीह (स) मु. 2-1-10 .... सोऽश्नुते सर्वान् कामान् (स) तै. 2-1-1 170 स्थितिसंयमकर्ताऽसौ (आ) वि. पु. .... 60 14 स्थित्यदनाभ्यां च (स) ब्र. सू. 1-3-6 .. 169 10 स्मृत्यनवकाशदोषप्रसङ्गात् (आ) ब्र. सू. 2-1-1 स्यान्नागरदाविलवेसरं च (स) शिल्पं .... 608 स्वमायया सांप्रतमागतं वा (स) . . 1754 स्वशास्त्रनिर्णयेऽसिद्ध (स) .... 2707 स्वशास्त्रनिर्णये सिद्धे (स) ..... 270 8 स्वसत्ताभासकं सत्वं (स) पञ्चरात्रं .... 282 स्वातन्त्रयमतुलं प्राप्य (स) ... 6 6 स्वेच्छामात्रनिदानता (आ) ... 301 18 हरि हरीतकी चैव (स) वैद्यशास्त्रं .... 617 हन्ताहमिमास्तिस्रो देवताः (आ) छा. 6-3-2, 305 3-4, 6-4-7, 6-8-6. हारकेयूरकटक (आ) ... 2916 हिरण्गर्भः (आ) म. ना. 1-12 .. 44 13 हिरण्यगर्भस्समवर्तताने (स) . 438 हिरण्यगर्भो भूगर्भः (आ) स ना. 43 18 हेत्वभाव फलाभावः (स) ___.. 99 16 ह्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्नयो (आ) पु. सू. उत्तरानु .... (स) 49 10 "
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy