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________________ उपप्रमाणानि सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म ( आ ) 35 सत्यसंकल्पः (स) सत्यं सत्यं पुनस्सत्यं (स) (आ) در " 39 79 " رد ܕܪ " "" 60 324 2 128 278 289 67 124 300 244 177 169 7 126 210 (आ) 244 127 सर्व प्रोक्तं त्रिविधं (स) श्वे. 1-12 सर्व समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः (स) गी. 11- 40.... 245 सर्वगत्वादनन्तस्य ( स ) वि. पु. 1-19-85 सर्वदेवास्पदे विष्णौ (स) शिल्पे गार्ग्यसंहिता सर्वव्यवहारावैषम्यं समानत्वात् (आ) न्या. सू. 245 61 209 सदा पूर्णः (आ) सदेव सौम्य (स) छा. 6-2-1 (आ) (आ) सदैकरूपरूपाय (स) वि. पु 1-2-1 स न साधुना कर्मणा (स) कौ. 3-8, पृ. 4-4-22 ..... " 56 " स भूमिं विश्वतो वृत्वा (स) पु. सू. समस्तशक्तिरूपाणि (स) वि. पु. 6-7-71 समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नः ( स ) श्वे. 4-7 स यदि पितृलोककामः ( स ) श्वे. 8-21 सर्वे खल्विदं ब्रह्म (स) छा. 3-14-1 *** भा. टी. सर्वश्शर्वश्शिवस्स्थाणुः (स) स. ना. सर्वान् कामान् सह ब्रह्मणा ( आ ) तै. 2-1-1 ... nena 4000 85. ROUD पु. सं. पङ्क्ति सं. 126 21 170 20 190 16 13 9 60 5 19 22 12 17 24 .... 39 127 170 6 8 7 .3 9 4 11 4 11 4 16 7 2 3 6 00 2002 33
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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