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उपात्तप्रमाणानि
शक्तयस्सर्वभावानामचिन्त्य (स) वि. पु. 1-3-2.... शब्दश्रुतिः - - ईशानो भूतभव्यस्य ( आ ) श्रीभाष्यं शब्दादेव प्रमितः (आ) ब्र. सू. शाश्वतं शिवमच्युतं (स) म. ना. 11-3 (आ)
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शुद्धसत्वमयं स्थानं (आ) शूलं परश्वथं शक्तिः (आ) श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्नधौ (स) वाज श्रुतेर्जाताधिकारः स्यात् (आ) पू-मी-सू. 3-3-1 श्ाघहुस्थाशपां (आ) पा. सू. 1-43-4
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षाड्गुण्यप्रचुरा नित्यं ( आ ) षाड्गुण्यस्य तथाभूत (स) षिञ् बन्धने ( स ) धा पा. 1249 स्वादि
स
संख्ययाऽभ्ययासन्न (आ) पा. सू. 2-2-25 संख्याया अल्पीयस्याः (आ) 2-2-35 पा. सूत्रे.
घार्ति 1417.
संदिग्धे तु वाक्यशेषात् (आ) पू. मी. सू. 1-4-24
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संभवाम्यात्ममायया (स) गी. 4-6
स एकाकी न रमेत (स) बृ. 3-4-3, महो. 1 स एव देवः कृतभूतभावनः ( स )
स एव सृज्यः स्रष्टा च (आ)
(स)
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११
सकला न यत्र क्लेशादयः (स) वि. पु 6-5-85..... स तु नारायणो ज्ञेयः ( स ) मो-ध. सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म (स) तै 2-1-1
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पु. सं. पङ्क्ति सं.
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