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उपात्तप्रमाणानि
पु. सं. पङ्क्ति सै. भूयश्चान्ते विश्वमायानिवृत्तिः (स) श्वे. 1-10 .... 143 14
.... 177 11 भोगमात्रसाम्यलिङ्गाश्च (स) ब्र.सू. 4-4-21 भ्रान्तिज्ञानवतां पुंसां (स)
.... 131 10 भ्रामयन् सर्वभूतानि (स) गी. 18-61
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मङ्गलानां च मङ्गलम् (स) स. ना. ..... 39 मत्प्रसादात् (स) गी. 18-56 मन्वर्थविपरीता तु या स्मृतिः (स) मम माया दुरत्यया (स) गी. 7-14
, (आ) गी. 7-14 मम साधर्म्यमागताः (स) गी. 14-2
.... 172 ममैवांशो जीवलोके (स) गी. 15-7
.... 6 मयाऽध्यक्षेण प्रकृतिः (स) गी. 9-10 .... 3 11 मल्लमयो ग्रामः (आ)
.... 2818 महीसुरोर्वीपतिवैश्यकास्ते (स) शिल्पशास्त्रं
9 मायां तु प्रकृति विद्यात् (स) श्वे. 4-10 मायांन सेवे भद्रं ते (स) भा. उद्यो. 68-5 मायामात्रमिदं (आ) गौ. का. 1-17
178 ___14 मायामात्रं तु (स) ब्र.सू 3-2-3
178 2 माया वयुनं ज्ञानं (स) मायाविनं मायया वर्तमानं (स) वेदनिघण्टी-धर्म
घर्गे 22-22. मुक्तोपसृप्यव्यपदेशाच (आ) व्र. सू. 1-3-2
.... 1713 मृत्तिकेत्येव सत्यं (स) छा. 6-1-4 .... 1883
, (आ) छा. 6-1-4 ... 190 मृत्युबै परे देव एकी भवति (स)
.... 179 मोहयिष्यामि मामवान् (स)
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