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________________ 43 उपात्तप्रमाणानि पु. सं. पछि सं. तद्धैक आहुः (स) 186 15 तब्रह्म (स) तै. 3-1-1 .... 219 17 तद्विजिज्ञासस्व (स) तै. 3-1-1 ... 25 10 .... 219 17 तद्विप्रासो विपन्यवः (स) न. पू. 5-10, आर. 5, 274 वासु. 4, मुक्ति.-2-78. तद्विष्णोः परमं पदं (स) क. 3-9, मै. 6-2-6, सु. 373 6 तमः परे देव एकीभवति (स) सु. 2 .... 1795 तमसः परस्तात् (आ) श्वे. 3-8, मु. 2-2-6, म.ना. 274 1-5. तमेवं विद्वानमृतः (आ) पु सू. .... 40 15 तयोरन्यः पिप्पलं खाद्वत्ति (स) श्वे. 4-6, क. 3-1-1 तवान्तरात्मा मम च (स) म. भा. शा. 361-4 ... तस्मात्सर्वगतश्शिवः (आ) 40 12 तस्मान्मुनीश्वरा यूयं (आ) स्कान्दम् .... 59 18 तस्य तस्य तु माहात्म्यं (आ) .... 66 18 तस्य ह वा एतस्य ब्रह्मणो नाम सत्यं (आ) तस्य हैतस्य पुरुषस्य रूपं (स) बृ. 2-3-6 55 तस्योदिति नाम (स) छा. 1-6-7 तादृगेव (स) क. 1-15 तावुभौ यदि सर्वशी (स) तेन नारायणः स्मृतः (स) म. स्मृ. 1 .... 41 11 तेन मायासहस्रं तत् (स) वि. पु 1-19-20 143 .... 1755 तेन वञ्चयते लोकान् (स) भा. उ. 67-13-15 . 176 तेनेदं पूर्ण पुरुषेण (स) श्वे. 3-9 41 तेषां सत्यानां सतां (स) छा. 8-3-1 ... 180 ते ह नाकं महिमानः (आ) पु. सू. .... 373 12 . 25 171 866 or or-50 ० 0005605 21 44
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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