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वच
सिद्धि
निका
पान
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इहां तर्क जो, वर्तनाहीके भेद परिणाम आदि हैं । तातें एक वर्तनाही कहना था । तिनका जुदा ग्रहण अनर्थक है। ताका समाधान, जो अनर्थक नाहीं है । इहां काल दोयप्रकारके सूचनेके आर्थि विस्तार कह्या है। काल दोय प्रकार है, । निश्चयकाल, व्यवहारकाल । तहां निश्चयकाल तौ वर्त्तनालक्षण है । व्यवहारकाल परिणामादिलक्षण है। यह
व्यवहारकाल अन्यपदार्थकरिही तौ जान्या जाय हैं । सूर्यादिकके उदयअस्तौं दिन आदिक जानिये है । बहुरि अन्यके सर्वार्थ
जनावने कारण है। यात निश्चयकाल जान्या जाय है । ऐसा क्रियाविशेषकू काल ऐसा नाम व्यवहारकाल कहिये है। सो तीन प्रकारका है, भूत वर्तमान अनागत ऐसें । तहां परमार्थकाल जो निश्चयकाल एक एक आकाशके प्रदेशविर्षे तिष्ठते कालाणु तिनकू काल कहना, सो तो मुख्य है । अर भूत आदि नाम कहिये सो गौण है । व्यवहारकालविर्षे भूत आदि नाम है सो मुख्य है । अर काल कहना गौण है । जाते यह क्रियावान जो अन्यद्रव्य ताकी अपेक्षातें काल नाम पाया है तथा निश्चयकालकरि किया है । तात काल नाम है, ऐसें जानना ॥ ___इहां परिणामकी चर्चा वार्तिकमें विशेष है, तहांतें जाननी । तहां कही है, जो द्रव्यके निजस्वभावकू न छोडीकरि पर्याय पलटना सो परिणाम है । सो दोयप्रकार है, एक नैमित्तिक एक स्वाभाविक । तहां जीवकै तौ औपशमिक
आदि पांच भावरूप हैं । पुद्गलके घटादि अनेकरूप हैं । धर्मद्रव्यादिककै अगुरुलघुगुणके हानिवृद्धिपर्यायरूप है । इहां । अन्यमती कहै हैं, जो परिणाम तो निर्बाध संभव नाहीं । जातें सत्रूप कहिये तो विद्यमानके पलटना नाहीं । असत् | कहिये तो अभावही आया । ताकू कहिये, स्याद्वादपक्षसूं परिणामकी सिद्धि है। द्रव्यकी अपेक्षा सत् है । पर्यायकी अपेक्षा १) असत् है। जैसैं मृत्तिका द्रव्य हैं, पिंड घट आदि पर्याय हैं। तहां पिंडका घट भया तामैं द्रव्यकी अपेक्षा
माटी है, पर्यायापेक्षया पिंडही कहिये । बहुरि पिंडते घट भया तब द्रव्यापेक्षया घटमें माटीका पिंड कहिये, पर्यायापेक्षया घटही है, पिंड नाहीं हैं इत्यादि दृष्टांत प्रसिद्ध हैं ।
बहुरि पूछे, जो द्रव्यतै परिणाम अन्य हैं कि अनन्य हैं ? जो अन्य हैं, तौ द्रव्यमें नाहीं । अनन्य है तौ द्रव्यही हैं, परिणाम नाहीं । इहां भी पूर्वोक्तही उत्तर है । बहुरि कहै, द्रव्यविर्षे परिणाम तिष्ठै है, कि नाही ? जो तिष्ठै है, तो एक परिणाम एककालमें है सोही है, तामैं दूजा परिणाम नाहीं । बहुरि नाही तिष्ठै है, तो अभाव आया । तहां भी
सो ही उत्तर, जो, द्रव्य है सो त्रिकालस्वरूप है, सो क्रमतें होते जे परिणाम तिनमैं एककाल एकही परिणाम है, सो Mal पर्याय कहिये । जब द्रव्यदृष्टिकरि देखिये तब सर्वपरिणामनिकी शक्ति लिये द्रव्य कहिये, तिनकी शक्ति क्रमतेही