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पान
ये है। बहुरि बौद्धमती एकरूप स्कंधमात्र अजीव मान है । सो स्कंध तौ पुद्गलद्रव्यमयीही है । बहुरि इहां धर्मा18| दिक जुदे द्रव्य कहे, तिनका समर्थन आगे होयगा ॥
____ आगै पूछ है कि, सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य इत्यादि सूत्रवि द्रव्य कहे, ते कौन हैं ? ऐसे पूछै सूत्र कहै हैंसर्वार्थ-RI
वच॥ द्रव्याणि ॥२॥
नि का याका अर्थ-धर्म अधर्म आकाश पुद्गल ए अजीव काय कहे, तिनकौं द्रव्य भी कहिये । याते द्रव्य हैं। तहां । जे अपना जैसा स्वरूप है, ताकार पर्यायनिकू द्रवंति कहिये प्राप्त होय तथा ते पर्याय जिनकू प्राप्त होय ते द्रव्य हैं। २०६ इहां अन्यवादी कहै है, जो, द्रव्यपणांका योग कहिये संबंध ताकरि द्रव्य है, सो यह वनै नाहीं । ऐसें कहे द्रव्यत्वकी तथा द्रव्यकी दोऊहीकी सिद्धि न होय है । जैसे दण्ड अरु पुरुप दोऊ न्यारे सिद्ध हैं, जब तिनका संयोग होय तब दण्डीपुरुप कहावै; तैसें द्रव्यत्व अरु द्रव्य न्यारे न्यारे दीखते नाही तातें द्रव्यत्वके योगते द्रव्य सिद्ध होय । जो, न्यारे न्यारे सिद्ध भये विना भी संबंध कहिये तो आकाशफूल असिद्ध है ताकै अर आकाश भी संबंध ठहरै । तथा स्वभावकार तौ पुरुप मस्तकसहित हैही, ताकू दूजे मस्तकका संबंध ठहरै । ऐसेंही द्रव्य तौ द्रव्यत्वरूप हैही कै दूजा द्रव्यत्वका संबंध ठहरे अथवा आकाशके फूलक अरु कल्पितपुरुपके मस्तककै भी योग होय, सो होय नाही. ॥
अथवा द्रव्य अरु द्रव्यत्व न्यारे न्यारेही मानिये तो द्रव्य तो न्यारा ठहराही । ताके द्रव्यत्वका योग है, तातें द्रव्य है, ऐसी कल्पना निष्प्रयोजन है । वहुरि कोई कहै, गुणनिका सद्भाव कहिये समुदाय है सो द्रव्य है सो ऐसे भी है
जो गुणनिके अरु समुदायके कथंचित् भेद मानिये तो द्रव्यका जुदा नाम न ठहरै । गुणनिका समुदायही कहिये तो KI द्रव्य कहां? बहार भेद मानिये तो पूर्वोक्त दोप आवै समुदाय तो जुदा ठहरयाही । गुणनिका समुदाय काहे कहिये?
बहुरि वादी कहै, जो तुम भी कहो हौ, जो गुणनिळू प्राप्त होय तथा जो गुण जाळू प्राप्त होय, सो द्रव्य है । सो | ऐसे कहे भी तुम गुणनिके समुदायमें दोप बताया सोही तुमारै आवेगा । ताकू कहिये हमारे दोप नाही आवेगा । जाते हम कथंचित् भेद कथंचित् अभेद माने हैं। तातें द्रव्यका व्यपदेश कहिये नामकी सिद्धि होय है । तहां गुण अरु द्रव्य जुदे नाहीं दीखे है, तातें अभेद है ॥
बहुरि संज्ञा संख्या लक्षण प्रयोजन आदिके भेदकार भेद है । बहुरि द्रव्यशब्दकें बहुवचन है सो धर्मआदि द्रव्य बहुत हैं, तातें समान आधारका योग है । इहां कोई कहै, तुम संख्याकी अनुवृत्ति ले बहुवचन कह्या है, तो लिंगकी