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सर्वार्थ
पान
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त्रायविंश कहिये, तेतीस देव है, ते त्रायस्त्रिंश कहिये । बहुरि इन्द्रके वयस्य कहिये मित्र, पीठमर्द कहिये समाविर्षे पछाडी दाबि बैठे ते पारिषद कहिये । बहुरि इन्द्रके सुभट शस्त्रधारी रक्षक ज्यों होय ते आत्मरक्षक है । बहुरि जे कोटपाल हाकिम फौजदारतुल्य होय ते लोकपाल है। पयादा आदि सातप्रकारकी सेनाके देव ते अनीक कहिये। बहुरि जैसे नगरमें व्योपारी आदि वसैं, तैसे वसनेवाले प्रकीर्णक कहिये । बहुरि दाससमान वाहनादिकार्यविर्षे प्रवर्ते ते आभि
वचसिद्धि
योग्य है । बहुरि नगरके अंतमें वसैं चाण्डालसमान ते किल्विषिक हैं । किल्विष नाम मलिनता पापका है । सो इनके निका टीका ऐसाही कर्मका उदय है, जो, देवगतिमें नीच होय हैं । इहां एकश ऐसैं कहनेसे एक एक निकायके ए भेद हैं । जश आगे ए दश भेद चायौंही निकायके सामान्यपणे प्रसंग आवै ताके अपवादके अर्थि सूत्र कहै हैं
१८३ ॥त्रायस्त्रिंशलोकपालवा व्यन्तरज्योतिष्काः ॥५॥ याका अर्थ-व्यंतर तथा ज्योतिषी देवनिविर्षे त्रायस्त्रिंश बहुरि लोकपाल ए दोय भेद नाही है। दशभेदनिके आठही भेद हैं ॥ आगें, तिन निकायनिविर्षे इन्द्र कैसे हैं तिनिका नियमके आर्थि सूत्र कहै है
॥ पूर्वयो:न्द्राः ॥ ६॥ याका अर्थ-- पहले दोय निकाय भवनवासी व्यंतर इनिविर्षे दोय दोय इन्द्र हैं। पूर्वयोः कहिये पहले दोय निकाय भवनवासी व्यंतर तिनविर्षे दोय दोय इन्द्र हैं । इहां प्रश्न, जो, दूसरेकै पूर्वपणा कैसे ? ताका उत्तर-जो, समीपते पूर्वपणां
। है । बहरि द्वीन्द्राः ऐसे शब्दमें दोय दोय ऐसा अर्थ कैसा भया ? ताका उत्तर- जो, इहां अंतनीत वीप्सा। अर्थ है । तातै दोय दोय इन्द्र होय ताकू द्वन्द्रा ऐसा कहिये । जैसे सात सात पान होय ताळू सप्तपर्ण कहिये तथा आठआठ पद होय ताकू अष्टापद कहिये तैसैं इहां भी जाननां । सोही कहिये हैं ॥
भवनवासिनिविर्षे असुरकुमारनिके चमर वैरोचन ए दाय इंद्र है । नागकुमारनिके धरण भूतानंद ए दोय इन्द्र है । विद्युत्कुमारनिके हरिसिंह हरिकान्त ये दोय इंद्र है । सुपर्ण कुमारनिके वेणुदेव वेणुताली ए दोय इन्द्र है। अग्निकुमारनिके अग्निशिख अग्निमाणव ए दोय इन्द्र है । वातकुमारनिके वैलंब प्रभंजन ए दोय इन्द्र है । स्तनितकुमारनिके सुघोष
महाघोष ए दोय इन्द्र है । उदधिकुमारनिके जलकान्त जलप्रभ ए दोय इन्द्र है । द्वीपकुमारनिके पूर्ण वशिष्ट ए दोय । इन्द्र है । दिक्कुमारनिके अमितगति अमितवाहन ए दोय इन्द्र है । ऐसें इनके वीस इन्द्र है । बहुरि व्यंतरदेवनिविर्षे ।।
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