________________
पुनि द्वीप उदधि गिरि खेत सर नदी मान नरभेद थिति । तिरियंच आयु ये विधि कथन भापै तीजे संधि इति ॥ १ ॥
ऐसे तत्त्वार्थका है अधिगम जातें ऐसा मोक्षशास्त्र तावि तीसरा अध्याय पूर्ण भया ।
सवधि
निका पान १८०
इति श्री परमपूज्य धर्मसाम्राज्यनायक योगींद्रचूडामणि, सिद्धांतपारंगत, चारित्रचक्रवर्ति श्री १०८ आचार्य श्रीशांतिसागरजी महाराजके
आदेशसे ज्ञानदानके लिए श्री. प. पू. चा. च. आ. श्री १०८ शांतिसागर दिगंबर जैन जीर्णोद्धारक संस्थाकी ओरसे छपी हुई श्री तत्वार्थसूत्रकी श्रीमत्पूज्यपादाचार्य विरचित सर्वार्थसिद्धीकी पडित जयचदजीकृता टीका
वचनिकाविर्षे तृतीय अध्याय सपूर्ण भया ॥३॥ ग्रंथ प्रकाशन समिति; फलटण वीर स. २४८१
.
.
-
.
-
*