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सर्वार्थ:
| बहुरि स्त्रीलिंगविर्षे नपुंसकलिंग कहनां, जैसे, वीणा ऐसा स्त्रीलिंग है ताकू आतोद्य ऐसा नपुंसकलिंग कहनां । बहुरि नपुंसकलिंगविर्षे स्त्रीलिंग कहनां, जैसे, आयुध ऐसा नपुंसकलिंग है, ताकू शक्ति ऐसा स्त्रीलिंग कहनां । बहुरि पुरुषलिंगवि नपुंसकलिंग कहना, जैसे पट ऐसा पुरुपलिंग है, ताळू वस्त्र ऐसा नपुंसकलिंग कहनां । बहुरि नपुंसकलिंगविपै पुरुषलिंग कहनां, जैसे, द्रव्य ऐसा नपुंसकलिंग है, ताकू परशु ऐसा पुरुषलिंग कहनां । बहुरि एकही वस्तूकै तीनूं लिंग कहनां, जैसे,
वचसिदि
तारका यहु स्त्रीलिंग है, ताहीळं पुण्यः ऐसा पुरुपलिंग तथा नक्षत्र ऐसा नपुंसकलिंग कहनां । इत्यादि लिंगव्यभिचार है। निका टी का | बहुरि संख्याव्यभिचार एकवचनवि द्विवचन, जैसे नक्षत्र ऐसा एकवचन है, तहां पुनर्वसू ऐसा द्विवचन कहना । बहुरि
| एकवचनविर्षे बहुवचन, जैसे नक्षत्र ऐसा एकवचन है, तहा शतभिपजा ऐसा बहुवचन कहनां । बहुरि द्विवचनविपैं एकवचन, |
जैसे 'गौदौ' ऐसा द्विवचन है, तहां ग्रामः ऐसा एकवचन कहनां बहुरि द्विवचनवि बहुवचन, 'जैसैं, पुनर्वसू ऐसा द्विवचन है, तहा पंचतारका ऐसा बहुवचन कहनां । बहुरि बहुवचनविपें एकवचन, जैसे, आम्रा ऐसा बहुवचन है, तहां वन ऐसा एकवचन कहनां । बहुरि बहुवचनवि द्विवचन, जैसैं, देवमनुष्याः ऐसा बहुवचन है, तहा उभौ रागी ऐसा द्विवचन कहनां । ऐसे संख्याव्यभिचार है ॥ का बहुरि साधनव्यभिचार, ताकू पुरुपव्यभिचार भी कहिये “ एहि मन्ये रथेन यास्यसि । नहि यास्यसि । न यातस्ते | पिता " याका अर्थ- एहि ऐसा मध्यमपुरुपका एकवचन है, तथापि याका ' एमि । ऐसा अर्थ करना, जो, मैं जाऊं हूं
सो। ' मन्ये । ऐसा उत्तमपुरुपका एकवचन है, तहां मध्यमपुरुपका : मन्यसे । ऐसा कहना, जो, तूं ऐसै मानै है। जामें । रथेन । कहिये रथ चढि । यास्यसि याका ' यास्यामि । ऐसा कहना, जो, जाऊंगा सो । ' नहि यास्यसि । कहिये नाही जायगा, तेरा पिता भी ऐसे गया नाही । भावार्थ-हास्यका प्रसंगवि ऐसा कहना होय है । जो तूं मानै है मै रथ चढिकरि जाऊं, सो ऐसें तेरा पिता भी न गया, तूं कैसा जायगा? तहां तूं कहनेकी जगह तौ हूं कहनेका शब्द कह्या । बहुरि हूं कहनेकी जायगा तूं कहनेका शब्द कह्या । तब पुरुप व्यभिचार भया ॥
वहुरि कालव्यभिचार, जैसे “ विश्वदृश्वाऽस्य पुत्रो जनिता " याका अर्थ- जिहि विश्व कहिये लोककू देख्या सो पुत्र याकै होसी । विश्वकू देख्या यहु तो अतीत कालवाचक शब्द है। वहरि जनिता यहु आगामी कालवाचक शब्द है । सो इहां कालव्यभिचार भया । बहुरि ' भाविकृत्यमासीत् । ऐसें कहै, ते भावि कहिये होणहार कार्य · आसीत् । कहिये हुवा, सो इहा भी अतीत अनागतकालका व्यभिचार भया ॥
वहरि उपग्रहव्यभिचार, जो । तिष्ठति । ऐसा परस्मैपद धातु है ताका ' संतिष्ठते । । प्रतिष्ठते । ऐसा भया ।
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