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शुद्धाद्वैतवैष्णववेल्लनाटीयवाह्मणमहासभाकी
विद्यासमितिकी संमति।
आंग्लभाषा के साथ संस्कृत पढने वाले एवं केवल संस्कृत विद्यार्थिगण अन्यत्र अन्यत्र देशोमें विद्याग्रहण कर रहे हैं। वहां उन्हें सांप्रदायिक मौलिक विद्वान् अध्यापक मिलने दुर्लम हैं । समितिका उद्देश है कि वेल्लनाटीय ब्राह्मण छात्र गण विद्यार्जनके साथ साथ साम्प्रदायिक ज्ञानभी अर्जन करते रहें । यत्र तत्र साम्प्रदायिक विद्वानोंके न मिलनेसे साम्प्रदायिक ज्ञान दुर्लभ है। इस अभावको दूर करनेके लिये चिरकालसे समितिके हृदयमें था । अत एव सम्प्रदायकी स्थूल स्थूल वातें छात्र हृदयानुसार रीति से जिसमें आजांय ऐसी एक पुस्तक वनवानेका विचार किया। तदनुसार यह कार्य चि. भट्टब्रजनाथ शर्माको दिया गया । और इन्होंने स्वीकार भी किया । पुस्तक तैयार होने पर समितिने इसे देखा । विदेशों में अध्ययन करते अल्प संस्कृतज्ञ, विशेषकर साम्प्रदायिक ज्ञानसे अपरिचित स्थूलबुद्धि विद्यार्थियोंके लिये पुस्तक लिखी गई है। अत एव इस दृष्टिसे यह पुस्तक उत्तम लिखी गई है । इस पुस्तक से केवल वेल्ल०छात्रोको ही नहीं किन्तु साम्प्रदायिक ज्ञानामिलापी प्रायः सर्व सामान्य एवं