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वैष्णव गणको भी बहुत लाभ पहुंचेगा यह समिति स्वीकार करती है । शु. वै. वेल्लनाटीय छात्रगण प्रायः हिन्दीभाषा भाषी हैं इसलिये यह पुस्तक हिन्दी भाषामें लिखी गई है। द्वितीय कारण यहभी है कि हिन्दीभाषा भाषी वैष्णवोंकी साम्प्रदायिक हिन्दी पुस्तकोंकी मांग बहुत रहती हैं और आजतक इस भाषामें कोई ऐसी पुस्तक नहीं थी जिसमें प्रायः सब मोटी मोटी बातें आजाय इस लिये भी यह पुस्तक इस भाषामें लिखाई गई है। पुस्तक सर्वथा सराहनीय है। कर्ताने अच्छा श्रम किया है। शु. वै. वे. ब्रा. महासभा विद्यासमिति
___बडामंदिर-मुंबई.