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________________ और उनके सिद्धान्त । २२७ वह यूधपति गजेन्द्र अद्भुत और असीम बलशाली था । चडे २ सिंह, वडे २व्याघ्र, बडे २ रीछ और बडे २ गजराज उस की गन्धमात्र से भाग जाते थे । वह गजेन्द्र धर्म से तप्त हो अपने परिवार सहित अपनी मदमाती चाल से पर्वतों को हिलाता हुआ सरोवर के समीय आ रहा था । उस समय मद उसके कपोलों से झर रहा था और भ्रमर गण उस मद का उपभोग अपने अद्भुत गुंजन के साथ कर रहे थे । मद मत्त करिवर कभी २ उनकी इस धृष्टता पर अपने आरक्तनेत्रों से देख लेता और कमी २ अपने विशाल कर्णताल से उन्हें भगा देता । उसकी अनुपमेय चाल इधर पर्वतों कंपायमान करती थी तो उधर देवतों की स्त्री और वडी २ अप्सरायें उसकी इस चाल को देख मोहित हो उठतीं और अपनी मनको मुग्ध करनेवाली चाल उन्हें बडी भद्दी मालुम पडती। ऐसा ही अमेय बलशाली धर्मतप्त गजेन्द्र आज सरोवर में मनमाना स्नान कर रहा है । जिस समय वेग सहित वह सरोवर में घुसा, सारा सरोवर अव्यवस्थित हो गया। ऐसा लगता था मानों समुद्र मन्थनावसर पर मन्थराचल पर्वत समुद्र में डाला गया हो। वह सरोवर में घुसते ही अपनी जलक्रीडा में मस्त हो गया । कभी अपनी सूंड में जल भर कर हथिनियों पर डालता तो कभी २ अपने बच्चों को सूंड में पकड कर, उछाल कर दूर सरोवर में फैंक देता।
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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