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________________ और उनके सिद्धान्त। २१५ और गति भी अपनी २ अलग २ हैं । इस प्रकार तीनों की रुचि भी सर्वत्र और सर्वदा भिन्न ही रहेगी। __ अव मर्यादा मार्गीय भक्त को लीजिये । इस भक्त के विशेषण से ही विदित हो जाता है कि ये जीव 'मर्यादा' में रह कर ही भगवान् की भक्ति को और स्वयं भगवान् को प्राप्त करना चाहते हैं। शास्त्र में जो भी कुछ ईश्वर को प्राप्त करने की मर्यादा वांध दी गई है उस मर्यादा से तिलभर भी न हटना और तदुक्त साधन करते रहना यह उनका विश्वास है । और यही उनका अटल सिद्धान्त रहता है । ऐसे भक्त कठिन तपस्या करके भगवान् को प्रसन्न करते हैं । किन्तु फिर भी फल में इनको भगवान का सामान्य अनुग्रह प्राप्त होता है। पुष्टिमार्गीय जीवों का निरूपण अन्यत्र किया गया है। परीक्षार्थ प्रश्न । जगत् में कितने प्रकार के जीव हैं ? चर्षणीवाच्य जीव कौन है ? मर्यादा मार्गीय जीव कौन हैं ? १ - -
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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