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________________ १९० श्रीमद्वल्लभाचार्य पर इनकी कृपा होती है वही इन को प्राप्त कर सकता है। अपना बल यहां कुछ काम नहीं आता। भगवान् भक्त के कितने वश्य हैं इसका एक उदारहण हम यहां देगे। व्रजभूमि की बात है। भगवान् श्रीकृष्ण उस समय चरणोंसे चलने लग गये थे । बालकों में जैसी चंचलता और अबाध्यता होती है भगवान् में शायद उस से हजार गुनी ज्यादह थी । वे कभी छाछ और माखन की हांडी फोडते थे तो कभी घडा भरा हुआ जल बिछौनो पर उडेल देते थे । कभी नंद बावा की सूखी हुई धोती कीच में डाल देते तो कभी उनकी खडाऊं छिपा आते । नन्द बावा कभी इनके इस उत्पात पर इनका चुंबन करते, कभी इनके सुकोमल गालों पर एक थपकी धर देते और कभी झूठ मूठ लड़ देते । पिता का क्रोध वे जानते थे कि पानी से भी पतला है किन्तु माता यशोदा से वे हमेशा डरते रहते थे। ___ एक दिन श्रीयशोदा अपने पुत्रको गोदमें लेकर स्तन पान करा रही थीं । सामने के मकानमें दूध गरम हो रहा था । थोडी देरमें दूध उफन ने लगा तो श्रीयशोदा श्रीकृष्ण को वहीं छोडकर दूधको सम्हालने चली गईं। यह बात श्रीकृष्ण को बुरी मालुम हुई । उन्होने लुढिया
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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