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ब्रह्मसम्बन्ध।
ब्रह्मवाद का सव से बडा सिद्धान्त है ब्रह्मसंबंध अथवा आत्मनिवेदन । यह वाल्लभ पुष्टिमार्गीय दीक्षा है । यह वात श्रीमहाप्रभुजी ने कोई नई नहीं निकाली । ब्रह्मसंबंध वेद, गीता, ब्रह्मसूत्र और भागवत में प्रमाणित है । यदि सच कहा जाय तो यह है कि श्रीमहाप्रभुजी ने अपनी तरफ से कोई बात की ही नहीं है और न कोई अपना खास सिद्धान्त जनता को बतलाया ही । आपने तो केवल उनवातों को प्रकट किया जो वेद, गीता, सूत्र और भागवत में छुपी हुई पडी थीं । ब्रह्मसंबंध भी उन्हीं प्रस्थान चतुष्टय मे अनुस्यूत है।
वेदो में लिखा है'स वा अयमात्मा सर्वेषांः भूतानामधिपतिः । सर्वेषां भूतानां राजा । तद्यथा रथनाभौ च रथनेमौ चाराः सर्वे समर्पिताः। एवमेवास्मिन्नात्मनि सर्वाणि भूतानि सर्व देवाः सर्वे लोकाः सर्वे प्राणाः सर्व एत