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श्रीमद्वल्लभाचार्य ____ भगवान् का प्राकट्य दो प्रकार से होता है । स्वरुप से
और कार्यसे । श्रीमद भागवत के दशमस्कन्ध के चार अध्यायो में क्रमसे चतुर्ग्रह का प्राकट्य मथुरामें कार्य रुपसे हुआ था। तीनों व्यूहों के सहित श्रीपुरुषोत्तम का स्वरुपतः प्राकट्य मथुरा में ही हुआ था । कंस से देवकी का मृत्युनिवारण आपने प्रकट होकर किया इस लिये वासुदेव व्यूहका प्राकट्य भगवान् का कार्य रूप से था। ___ बलदेव और वासुदेव के सहित पुरुषोत्तम का व्रज में प्राकट्य स्वरुपतः है । व्रज में आपका प्राकट्य कार्यतः भी है । क्यों कि वहां आपने निःसाधन व्रजजनों का उद्धार किया था।
भगवान् श्रीकृष्ण जिस समय भूतल पर विराजते हैं उस समय वे अपने स्वरुप बल से जीवों का उद्धार करते हैं।
और जब आप तिरोहित रहते हैं उस समय भक्तिके द्वारा जीवों का उद्धार होता है।