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________________ और उनके सिद्धान्त। १२९ नारदपञ्चरात्र में लिखा हैदामोदरो गोपदेवो यशोदानन्दकारकः । कालीयमर्दनः खर्वगोपगोपीजनप्रियः ॥१४३॥ लीलागोवर्धनधरो गोविन्दो गोकुलोत्सवः । अरिष्टमथनः कामोन्मत्तगोपीविभुक्तिदः १४४ इसका अर्थ स्पष्ट है। इसके आगें रात्रि ४ अध्याय ८ में लिखा हैपर्वताधिनिवासी च गोवर्धनघरो गुरुः ॥ २४ ॥ गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारका। गोवर्धनो गीतगतिवार्गक्षो गोवृषेक्षणः ॥२५॥ इन्द्रयज्ञहरो गोवर्धनधारी गिरांपतिः । यज्ञभुग्यज्ञकारी च हितकारी हितांतकः ॥१०॥ गिरिरुपी गिरिमखो गिरियज्ञप्रवर्तकः । गिरैरंगधरो गोपगोपीगोतापनाशनः ॥ ९४ ।। भक्तिप्रियो भक्तिदाता दामोदर इडस्पतिः। इन्द्रदर्पहरोऽनन्तो नित्यानन्दान्विदात्मकः॥१६॥ द्विभुजः षड्भुजोऽनन्तभुजो मातलिसारथिः। शेषः शेषाधिनाथश्व शेषी शेषान्तविग्रहः॥१२८॥ ब्रह्मपुराण में लिखा हैततस्तद्गोकुलं सर्व गोपीगोएसंकुलम् । अतीवात हरिदृष्ट्वा त्राणायाचिन्तयत्तदा ॥११॥
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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