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और उनके सिद्धान्त । तासूं नागदमन भी मैं ही हूं। कंस, केशी, कुवलयापीड इत्यादि दुष्टन को दमन भी मैने कियो है तासूं जन साधारण मोकू दुष्टदमन भी कहें हैं। समय समय पै मैने इन्द्र, कुवेर, चन्द्रमा, वायु, वरुण, मृत्यु, यम, अग्नि, ब्रह्मा, शिव और काम इत्यादि देवन को भी मैने दमन कियो है यातूं देवदमन मी मैं ही हूं। मैं ब्रजभक्तनकू सदैव प्रिय हूं अतएव तेरी गाय मोकू दूध प्यायो करेगी। मोकू यह गौ अत्यन्त प्रिय है।
श्रीनाथजीके मुखारविन्द से यह साक्षात् आज्ञा सुनश्रीनाथजी की श्री. कर ब्रजवासा अत्यन्त प्रसन्न हआ। महाप्रभु को झाड- उस दिन से उस भाग्यवान् ब्रजवासी
खण्ड में आशा की गाय श्रीनाथजी को दुग्धपान कराने लगी।
आपने जिस समय प्राकट्य ग्रहण किया उसी समय आपकी रक्षार्थ चार व्यूह भी प्रकट हुए थे। __ श्रीगिरिराजधरणके संकर्षण कुंडमें से श्री संकर्षण देवका, गोविन्द कुण्डमें से श्रीगोविन्द देवका, दानघाटीपर श्रीदानीरायजी का एवं श्रीकुण्डमें से श्रीहरिदेवजी का प्राकट्य हुआ था । ये चारों देव क्रमशः संकर्षण वासुदेव प्रद्युम्न
और अनिरुद्धात्मक हैं। ये सर्वदा श्रीनाथजीके साथ रक्षार्थ विराजते हैं । इन व्यूहों की सेवा मतान्तर के भक्त लोग