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और उनके सिद्धान्त ।
है अर्थात् इसमें भगवान् ने सात्विक भक्तों का निरोध किया है । इस के अध्याय २१ और प्रकरण ३ हैं । सात्विक मक्तों को प्रमाण की अपेक्षा नहीं रहती इससे प्रमेय साधन और फल यह सात २ अध्याय से वर्णित हैं। पांचवां ऐश्वर्य प्रकरण ६ अध्याय से वर्णित है । इसमें भगवान् के ऐश्वर्य, वीर्य, श्री, यश, ज्ञान और वैराग्य इन छःओंका निरूपण है। __एकादश स्कंध में मुक्ति का वर्णन है। इसमें ३१ अध्याय
और दो प्रकरण हैं। प्रथम जीवमुक्ति प्रकरण २९ अध्याय से और दूसरा ब्रह्ममुक्ति प्रकरण दो अध्याय से वर्णित है ।
द्वादश स्कन्ध में आश्रय का वर्णन है। इसमें तेरह अध्याय और पांच प्रकरण हैं। पहला लोकाश्रय दो अध्यायका, वेदाश्रय दोका, भगवदाश्रय तीनका, शब्दाश्रय तीनका और अर्थाश्रय तीन अध्याय का कहा गया है।
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