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________________ ११६ श्रीमद्वल्लभाचार्य चीज मानी गई है उसी प्रकार भागवत का दशमस्कंध है। इस स्कन्ध में निरोधका वर्णन है। निरोधका अर्थ है प्रपंचविस्मृति पूर्वक भगवदासक्ति । दशमस्कन्ध पूर्वार्ध और उत्तरार्थों में विभक्त है । पूर्वार्ध में प्रक्षिप्त तीन अध्याय सहित ४९ अध्याय हैं और उत्तरार्ध में ४१ अध्याय हैं । दशमस्कंध में पांच प्रकरण हैं । ढाई उत्तरार्ध और ढाई पूवार्ध में । पूर्वार्ध में प्रथम चार अध्याय का जन्मप्रकरण, अट्ठाईस अध्याय का तामस प्रकरण, २८ अध्यायका राजस् प्रकरण है (इसके चौदह पूर्वार्ध में और चौदह अध्याय उत्तरार्ध में हैं।) अब उत्तराध में राजसू प्रकरण के अवशिष्ट चौदह अध्याय, सात्त्विक प्रकरण के २१ और ऐश्वर्य प्रकरणके ६ अध्याय हैं। पूर्वार्ध के तामस प्रकरण के भी चार प्रकरण हैं। पहले प्रमाणप्रकरण के सात अध्याय, दूसरे प्रमेय प्रकरणके ७, तीसरे साधन प्रकरण के भी ७ और चोथे फल प्रकरण के भी ७। इस प्रकरण में रास पंचाध्यायी और युगलगीत का वर्णन होता है । यह फलरूप होने से फल प्रकरण में आये हैं सो ठीक ही है। तीसरा राजस् प्रकरण अर्थात् राजस् भक्तों का निरोध है । इसके २८ अध्याय हैं । और इसके भी चार प्रकरण हैं । पहले और दूसरे प्रमाण और प्रमेय प्रकरण पूर्वार्ध में हैं और सात २ अध्याय के दूसरे दो प्रकरण साधन और फल उत्तरार्ध में हैं। चोथा सात्विक प्रकरण
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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