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और उनके सिद्धान्त। ११५ में, दूसरा काल प्रकरण इक्कीस अध्याय में और तृतीय स्वम प्रकरण दो अध्याय में कहा गया है। . षष्ठ स्कन्ध में पोषण (पुष्टि, अनुग्रह) लीलाका वर्णन है । इसके अध्याय १९ और प्रकरण ३ हैं । प्रथम नाम प्रकरण ३ अध्याय से, दूसरा ध्यान प्रकरण १४ अध्याय से और तृतीय अर्चन प्रकरण दो अध्यायों से कहा गया है। ___ सप्तम स्कन्ध में ऊति (वासना) का वर्णन किया है। इसमें १५ अध्याय और तीन प्रकरण हैं । पहला असद्वासना प्रकरण पांच अध्यायसे, दूसरा सद्वासना प्रकरण भी पांच अध्यायसे और तीसरा सदसद्वासना प्रकरण पांच अध्यास से वर्णित है।
अष्टम स्कंध में मन्वन्तर लीला का वर्णन है । इसके अध्याय २४ और प्रकरण चार हैं । पहला तामस प्रकरण चार अध्याय से, दूसरा सात्विक प्रकरण दस अध्याय से, तीसरा राजस् प्रकरण नव अध्याय द्वारा और चोथा भक्ति प्रकरण एक अध्याय द्वारा वर्णित है। ___ नवम स्कन्ध में ईशानुकथा का वर्णन है । इसमें अध्याय चोवीस और प्रकरण दो हैं । पहला सूर्य वंश निरूपण चारह अध्याय में और दूसरा चन्द्रवंश निरुपण वार अध्याय में किया गया है।
दशमस्कंध, स्वरुपात्मक श्रीमद्भागवत का ह मनुष्यशरीर में जिस प्रकार हृदय अत्यन्त उत्तम और प्रधान