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श्रीमद्वल्लभाचार्य तीसरे प्रकरण के तेरह अध्यायो में उत्तमाधिकार का वर्णन किया गया है।
द्वितीय स्कन्ध में ज्ञानलीला वर्णित की गई है। इसमें दस अध्याय हैं और तीन प्रकरण हैं। पहले दो अध्याय के एक प्रकरण से तत्वज्ञान का निरूपण है, दूसरा प्रकरण दो अध्याय का है जिसमें हृदय की प्रसन्नता का वर्णन है और तृतीय प्रकरण मनन प्रकरण है जो छः अध्याय से कहा गया है।
तृतीय स्कन्ध में भगवान् की सर्गलीला का वर्णन है । उसके ३३ अध्याय और ६ प्रकरण हैं । पहला अधिकार प्रकरण चार अध्याय से, दूसरा गुणातीत प्रकरण दो अध्याय से, तीसरा सगुण प्रकरण तीन अध्याय से, चौथा कालप्रकरण दो अध्याय से, पंचम जीव प्रकरण नौ अध्याय से और छठा तत्त्व प्रकरण तेरह अध्याय से वर्णित है।
चतुर्थ स्कंध में विसर्गलीला का वर्णन होता है । उसके अध्याय ३१ और प्रकरण चार हैं । प्रथम धर्म प्रकरण सात अध्याय में, दूसरा अर्थ प्रकरण पांच अध्याय में, तीसरा काम प्रकरण ग्यारह अध्याय में और चतुर्थ मोक्ष प्रकरण आठ अध्याय में वर्णित किया गया है। - पंचमस्कन्ध में स्थानलीला का वर्णन है। उसके अध्याय २६ और प्रकरण तीन हैं । प्रथम देश प्रकरण तीन अध्याय