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और उनके सिद्धान्त । १११ परमतभाषा-जिस कथानक में समाधिभाषा से विभिन्न अर्थ हो वह परमतभाषा है । श्रीशुकदेवजीने जहां कहीं दूसरे के कहे हुए का अनुवाद किया है वह परमत भाषा है यह जान लेना चाहिये। __ लौकिक भाषा-लौकिक बातों का अनुसरण कर जहां कुछ कहा जाय वह लौकिक भाषा है । ___ यह ठीक है कि व्यासजी ने समग्र भागवत का समाधि में अनुभव किया था और समग्र भागवत प्रमाण है किन्तु समाधि में भीआप को पांच प्रकार का (पुरुषोत्तम-माया-भक्ति जीव-अनर्थोपशम)अनुभव हुआ था इस लिये इन का अनुसरण करने वाली भाषा समाधिभाषा मानी गई है । वास्तव में देखा जाय तो परमत भाषा और लौकिकी भाषा, समाधि भाषा को सहायता देती हो तो प्रमाण मानी गई हैं। ___ हम अन्यत्र कह आये कि भागवत सर्व सन्देह वारक है। वेदों का सन्देह व्याससूत्र से दूर होता है । यदि वहां भी कुछ आशंका रहे तो श्रीमद्भगवद्गीतोपनिषत् दूर करेगा और यदि फिर मी सन्देह का निराकरण न हो तो श्रीमद्भागवत सब सन्देह को दूर कर देगा। हमारे सम्प्रदाय के अनुयायिओं का कर्तव्य है कि वे श्रीमद्भागवत पर दृढ श्रद्धा रक्खें। उसे भगवान् का ही स्वरुप समझें और उसका पाठ एवं श्रवण यथा सम्भव नित्य करते रहें। श्रीमद्भागवत