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________________ ३-४ ऊति ११० श्रीमदल्लभाचार्य की लीलाओंका वर्णन करने वाला और भगवान् में दृढ आसक्ति उत्पन्न करने वाला यह ग्रन्थरत्न है। श्रुति मे लिखा है कि 'भगवान् द्वादश अंगवाले हैं।' यहां भी बारह स्कंध हैं । इनकी समझ यों है-- अंगके नाम स्कंध लीला श्रवणाङ्ग दो चरण १-२ अधिकार औ ज्ञान दो बाहू सर्ग और विसर्ग दोनों जंघा स्थान और पोषण दक्षिण हसा दोनों स्तन मन्वन्तर, ईशानुकथा हृदय शिर मुक्ति वामहस्त आश्रय श्रीमद्भागवत में तीन भाषा है-लोकमाषा, परमतभाषा और समाधिभाषा। समाधिभाषा-श्रीवेदव्यासजी ने अपनी समाधि में जो कुछ भी अनुभव करके कहा उसे समाधिमाषा कहते हैं। समाधि में योग के बल से और एकान्तचित्त से व्यासजी को भगवान् का साक्षात्कार हुआ था अत एव उस समय के व्याख्यान को प्रबल प्रामाण्य माना जाता है। निरोध
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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