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________________ और उनके सिद्धान्त। वली से सैंकडों उत्तमोत्तम ग्रन्थ वनाले किन्तु जिसमें भगवान् श्रीकृष्ण का यश वर्णित न होगा वह काकतीर्थ है और उस में वायसों के सिवाय और कोई आकर नहीं नहायगा । और इस तरफ आप विश्वास राखिये कि चाहे टूटी फूटी और असंवद्ध भाषा में ही यदि कृष्ण कीर्तन कीये जांयगे तो वही अत्यन्त जन को मुग्ध करने वाले हो जायगे! मेरा तो पुनः पुनः कहना यही है कि आप भगवान् श्रीकृष्ण के चरित्रों का वर्णन कीजिये, उन की भक्तिका उपदेश दीजिये और उनकी मनोमोहक लीलाओंका वर्णन कर जाइये आप की आत्मा प्रसन्न हो जायगी । और प्रसन्न भी ऐसी होगी कि फिर कमी आप को खेद होगा ही नहीं। आप स्वयं विद्वान् हैं, इस के उपरान्त आपतो भगवान् श्रीकृष्ण के ज्ञान कलावतार ही हैं । आप को मैं क्या कहूं ? आप इस बात को एक बार पुनः सोचिये । समाधि के द्वारा आप को अपने कर्तव्य का बोध होगा और आप अपनी आत्मा को सम्पन्न बनाने का उपाय ढूंढ लेंगे । मुझे आप अव आज्ञा दीजिये। __नारदजी के चले जाने पर भगवान् व्यासजी ने अपनी समाधि में इस श्रीमद्भागवतशास्त्रका अनुभव किया और इसीसे इसे 'समाधिभाषा' कहते हैं । श्रीमद्भागवत भगवान् का ही स्वरूप है । वेदों के अर्थ को व्यक्त करनेवाला, शास्त्रों के सन्देहों का वारक, भगवान्
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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