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as “पुष्टिमार्ग"
जो लोग जन्म से प्रसिद्ध पुष्टिमार्गीय वैष्णव हैं, __ अथवा जिनके यहां परम्परा से पुष्टिमार्गीय दीक्षा चली
आती हो, अथवा जो लोग पुष्टिमार्गीय आचार विचार में स्थित हैं और जिनके यहां पुष्टिमार्गीय सेवा पद्धति प्रचलित है अथवा जो लोग गुरु और ईश्वर मे एक भाव रखते हैं, अथवा जो लोग अपने आपको अनन्य पुष्टिमार्गीय वैष्णव कहते हैं, या कहलाना चाहते हैं, उनके लिये पुष्टिमार्गीय सिद्धान्तों का जानना उतना ही आवश्यक है जितना ब्रह्मज्ञानी को ब्रह्मका जानना या पढनेवाले को विद्या का जानना । जो पुष्टिमार्गीय होकर भी अपने सिद्धान्तोंके रहस्यों को नहीं जानते वे नाम मात्र के वैष्णव हैं। ऐसे वैष्णवों से वैष्णवत्व का गौरव नहीं बढ़ सकता और न ऐसे वैष्णवों से पुष्टिमार्ग की उन्नति ही हो सकती है । इसलिये प्रत्येक पुष्टिमार्गीय वैष्णव-बालक युवा, वृद्ध और स्त्री-को अपने संप्रदाय का रहस्य जानना अत्यन्त आवश्यक है । पुष्टिमार्ग के महत्त्व को जान लेने पर कोई भी