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असंस्कृत
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वन चंचल है। पूर्व संचित कर्मों के फल भोगने
" ही पड़ते हैं। इन दोनों बातों का वर्णन इस अध्ययन में बड़ी सुन्दरता के साथ हुआ है।
___ भगवान बोले- . (१) टूटा हुआ जीवन फिर जुड़ नहीं सकता, इसलिये (हे
गौतम ! ) तू एक समय (काल का सबसे छोटा प्रमाण) का भी प्रमाद मत कर । सचमुच वृद्धावस्था से प्रसित पुरुष का कोई शरणभूत नहीं होता ऐसा तू चिन्तन कर। प्रमादी और इसीलिये हिंसक बने हुए विवेकशून्य जीव
किसकी शरण में जायगे। टिप्पणी यद्यपि यह कथन गौतम को लक्ष्य करके कहा गया है फिर
भी 'गोयम' शब्द का अर्थ इन्द्रियों का नियम करने वाला 'मन' भी हो सकता है। हम आत्माभिमुख होकर अपने मन के प्रति इस संबोधन का अवश्य उपयोग कर सकते हैं। दूसरी सभी वस्तुएं