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उत्तराध्ययन सुत्र
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(९४) प्रत्येक वनस्पति जीवों के भी अनेक भेद हैं, (१) वृक्ष
(इसके भी सवीज और निजि ये दो भेद है), (२) गुच्छावाले, (३) बनमालती आदि, (४) लता ( चंपक लता आदि), (५) वेलें ( करेले, काकड़ी आदि की
वेलें ), (६) घास(९५) (७ ) नारियल, (८) ईख, वांस आदि, (९) कठफुले
(१०) कमल, साली प्रादि, (११) हरिकाय प्रौपधि
आदि आदि सब प्रत्येक वनस्पतियां हैं। (९६) साधारण शरीर वाले जीव भी अनेक प्रकार के हैं, (२)
भालू, (२) मूला, (३) अदरक(९७) (४) हरिली कंद, (५) विरिली कंद, (६) सिस्सि
रिली कंद, (७) जावंत्री कन्द, (८) कंदली कंद, (९) प्याज, (१०) लहसन, (११) पलांडू कंद, (१२)
कुडुव कन्द(९८) (१३) लोहिनी कन्द, (१४) हुताक्षी कन्द, (१५)
हूत कन्द, (१६) कुहक कन्द (१७) कृष्ण कन्द, (१८)
वज्र कन्द, (१९) सूरण कन्द(९९) (२०) अश्वकर्णी कन्द, (२१) सिंहकर्णी कन्द, (२२)
मुसंढी कंद, (२३) हरो हल्दी-इस प्रकार अनेक तरह
की साधारण वनस्पतियां होती हैं। (१००) सूक्ष्म वनस्पति कायिक जीवों का एक ही भेद है।
भिन्न २ प्रकार की दृष्टि से सूक्ष्म वनस्पतिकाय जीव समस्त लोक में व्याप्त हैं किन्तु स्थूल जीव तो लोक के अमुक भाग में ही हैं।