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जीवाजीव विभक्ति
(८६) सूक्ष्म जलकायका एक ही भेद है, भिन्न २ नहीं है । सूक्ष्म जलकाय के जीव सर्वलोक में व्याप्त हैं और स्थूल जल काय के जीव तो लोक के अमुक भाग में ही रहते हैं । (८७) प्रवाह की अपेक्षा से तो वे सब अनादि एवं अनंत हैं किन्तु एक जीव को आयुष्य की अपेक्षा से आदि-अन्त सहित है ।
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(८८) जलकाय के जीवों की जघन्य आयुस्थिति अन्तर्मुहूर्त तक की और उत्कृष्ट आयु सात हजार वर्ष तक की है ।
(८९) जलकाय के जीवों की कायस्थिति, उसी योनि में जन्म धारण करने की अवधि कम से कम अन्तर्मुहूर्त की और अधिक से अधिक असंख्य काल की है ।
(९०) जलकाय के जीव के अपनी काय को छोड़ कर दुबारा उसी काय में जन्म धारण करने के अन्तराल की जघन्य स्थिति एक अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अनन्त-काल की है ।
(९१) जलकायिक जीवों के स्पर्श, रस, गंध, वर्ण और संस्थान की अपेक्षा से हजारो भेद हैं ।
(९२) वनस्पति काय के जीव ( १ ) सूक्ष्म, और ( २ ) स्थूल ये दो प्रकार के होते हैं और उन दोनों के पर्याप्त तथा अपर्याप्त ये दो दो भेद और हैं।
(९३) स्थूल पर्याप्त वनस्पति काय के जीवों के दो भेद हैं ( १ ) साधारण ( जिस शरीर मे अनन्त जीव रहते हों ),, ( २ ) प्रत्येक ( जिस शरीर में एक ही जीव हो ) ।