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उत्तराध्ययन सूत्र
(७९) सूक्ष्म तथा स्थूल पृथ्वीकाय के जीव, जीव प्रवाह की
अपेक्षा से तो अनादि एवं अनंत हैं किन्तु एक एक जीव
की आयुष्य की अपेक्षा से सादि तथा सांत है। (८०) स्थूल पृथ्वीकाय के जीवों की जवन्य स्थिति एक अन्त
मुंहूतं और उत्कृष्ट स्थिति २२००० वर्ष की है । (८१) (पृथ्वीकाय से मर कर फिर पृथ्वीकाय में उत्पन्न होने
को काय स्थिति कहते हैं) स्थूल पृथ्वीकाय के जीवों की जघन्य कायस्थिति अन्तर्मुहर्त की और उत्कृष्ट स्थिति असंख्यात काल की है।
(८२) पृथ्वीकाय के जीव एक बार अपनी पृथ्वीकाय को छोड़ कर
फिर दुवारा पृथ्वीकाय में जन्मधारण करें उसके अन्तराल की जघन्य अवधि एक अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अनन्त
काल तक की है। (८३) भाव की अपेक्षा अब वर्णन करते हैं-इन पृथ्वी कायिक
जीवों के स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण तथा संस्थान की दृष्टि
से हजारों भेद हैं। (८४) जलकाय के जीव ( १ ) स्थूल, और (२) सूक्ष्म इन
दो प्रकार के होते हैं और उन दोनों के पर्याप्त तथा अप
याप्त तथा ये दो दो भेद और हैं। (८५) स्थूल पर्याप्त जीवों के ५ भेद हैं (१) मेघ का पानी,
(२) समुद्र का पानी, (३) ओस विन्दु आदि, (४) कुहरे का पानी, और (५) वर्फ का पानी।