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जीवाजीवविभक्ति
(७४) (१५) हड़ताल, (१६) हींगडा, (१७) मरासील ( एक प्रकार की धातु, ) ( १८ ) जसत, (१९) सुरमा, ( २० ) प्रवाल, (२१) अभ्रक ( २२ ) अभ्रक से मिश्रित धूल ।
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(७५) (ब मणियों के भेद कहते हैं:-) (२३) गोमेदक, (२४). रुचक, (२५) अंकरत्न (२६) स्फटिक रत्न, (२७) लोहिताक्ष मणि, ( २८ ) मर्कत मणि, (२९) मसारगल मणि, (३०) भुजमोचक रत्न, ( ३१ ) इन्द्र नील-
(७६) (३२) चन्दन रत्न, (३३) गैरकरत्न, ( ३४ ) हंसगर्भ रत्न, (३५) पुलकरत्न, ( ३६ ) सौगन्धिक रत्न, (३७) चंद्रप्रभारन, (३८) वैडूर्य रत्न, ( ३९ ) जलकांत मणि. और (४०) सूर्यकांत मणि ।
टिप्पणी- यद्यपि यहां मणियों के१८ भेद गिनाये हैं परन्तु इनको १४ प्रकार मानकर पूर्व के २२ में जोड़ देने से कुल भेद ३६ हुए ।
(७७) इस प्रकार कर्कश पृथ्वी के ३६ भेद हैं। सूक्ष्म पृथ्वी के जीव तो सभी केवल एक ही प्रकार के हैं - जुदे २ नहीं हैं और वे दृष्टिगोचर भी नहीं होते ।
(७८) क्षेत्र की अपेक्षा से सूक्ष्म पृथ्वीकाय के जीव समस्त लोकाकाश में व्याप्त हैं । और स्थूल पृथ्वीकाय के जीव इस लोक के केवल अमुक भाग में ही हैं। अब मैं उनका चार प्रकार का कालविभाग कहता हूँ, तुम ध्यान पूर्वक सुनो
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