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लेश्या
(५४) पद्म लेश्या की जघन्य स्थिति तेजो लेश्या की उत्कृष्ट स्थिति से एक समय और अधिक के बराबर है और उत्कृष्ट आयु एक समय सहित दस सागरोपम है । .
(५५) शुक्कु लेश्या की जघन्य स्थिति एक समय सहित पद्म लेश्या की उत्कृष्ट स्थिति के बराबर है और उत्कृष्ट स्थिति एक अन्तमुहूर्तसहित ३३ सागर की है।
(५६) कृष्ण, नील और कापोती ये तीनों अधर्म लेश्याएँ हैं और इन तीनों लेश्याओं के कारण जीवात्मा दुर्गति को प्राप्त होता है ।
(५७) तेजो, पद्म और शुक्ल ये तोनों धर्म लेश्याएं हैं और इन तीनों लेश्याओंके कारण जीवात्मा सुगतिको प्राप्त होता है । (५८-५९) मरण समय अगले जन्म के लिये जब जीवात्मा की लेश्याएँ बदलती हैं उस समय पहिले समय अथवा अंतिम समय में किसी भी जीव की उत्पत्ति नहीं होती है ।
टिप्पणी - समय, काळवाची सबसे छोटा प्रमाण है ।
(६०) सारांश यह है कि मरणांत के समय आगामी भव की लेश्याओं के परिषमित होने पर एक अन्तर्मुहूर्त बाद अथवा एक अन्तर्मुहूर्त बाकी रहने पर ही जीव परलोक को जाता है ।
टिप्पणी- लेश्याओं की रचना इस प्रकार की है कि अगली जैसी गति में जाना होता है वैसे आकार में मृत्यु के एक समय के पहिले परिणत हो जाती हैं ।