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उत्तराध्ययन सूत्र
(२) (लेश्या के ११ वोलों के नाम गिनाते हैं ) ( १ ) नाम (२) वर्ण, (३) रस, ( ४ ) गन्ध ( ५ ) स्पर्श, ( ६ ) परिणाम, ( ७ ) लक्षण, (८) स्थान, ( ९ ) स्थिति, (१०) गति, और (११) च्यवन ( अन्तर्मुहूर्त मात्र आयु शेष रहने पर आगामी भव की जो लेश्या उत्पन्न होती है उसे च्यवन द्वार कहते हैं ।) अब मैं उनका वर्णन कहता हूँ सो तुम ध्यानपूर्वक सुनो ।
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( ३ ) ( १ ) कृष्ण लेश्या, (२) नील लेश्या, (३) कापोती लेश्या, (४) तेजोलेश्या, (५) पद्म लेश्या, और ( ६ ) शुकु लेश्या । ये उनके क्रमशः नाम हैं ।
(४) कृष्ण लेश्या का वर्ण जल से भरे हुए बादल के रंग के समान, भैंसे के सींग के रंग के समान, अरीठा के समान, गाड़ी के धन के समान, काजल के समान और आंख की पुतली के समान काला माना गया है।
है । ( ५ ) नील लेश्या का वर्ण हरे अशोक वृक्ष, नीलचास पक्षी की आँख और स्निग्ध नीलमणि जैसा माना गया ( ६ ) कापोती लेश्या का वर्ण अलसी के फूल, कोयल के पंख और कबूतर की गर्दन जैसा कहा है
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टिप्पणी- कापोती लेश्या का वर्ण हलका काला और सूक्ष्म लाल रंग विमाना है ।
(७) वेजोलेश्या का वर्ण हीगड़ा जैसा, उगते हुए सूर्य जैसा, सूडा की चोच जैसा, अथवा दीपक की शिखा जैसा माना है ।