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________________ २८९ जातिवाद का घोर खण्डन-कर्मवाद का मन्डन-श्रमण, मुनि और तपस्वी किसे कहते है-संसार रूपी रोग की सच्ची चिकित्सा सच्चे उपदेश का प्रभाव । २६-समाचारी साधक भिक्षु की दिनचर्या-उसके १० भेदों का वर्णनदिवस का समयविभाग-समय धर्म को पहिचान कर काम करने की शिक्षा-सावधानता रखने पर विशेष भार-घड़ी बिना दिवस तथा रात्रि नानने की समय पद्धति । २७-खलुंकीय ३०४. गणधर गार्य का साधक जीवन-गरियार बैलों के साथ शिष्यों की तुलना-स्वच्छंदता का दुष्परिणाम-शिष्यों की आवश्यकता कहां तक है-गाग्र्याचार्य का सबको निरासक्त भावसे छेड़कर एकान्त आत्मचिन्तन करना । २८-मोक्षमार्ग गति मोक्ष मार्ग के साधनों का स्पष्ट वर्णन-संसार के समस्ततत्वों के तात्विक लक्षण-आरमविकास का मार्ग सरलता से कैसे मिल सकता है ?-- २६--सम्यक्त्व पराक्रम ३२० जिज्ञासा की सामान्य भूमिका से लेकर अन्तिम साध्य (मोक्ष) प्राप्ति तक होनेवाली समस्त भूमिकाओं का मार्मिक, सुन्दर वर्णन उत्तम ७३ गुण और उनके लाभ । ३०-तपोमार्ग ३५२ कर्मरूपी ईंधन को जलानेवाली अग्नि कौन सी? तपश्चर्या का वैदिक, वैज्ञानिक, तथा माध्यात्मिक इन तीनों दृष्टियों से निरी क्षण-तपश्चर्या के भिन्न २ प्रकार के प्रयोगों का वर्णन और उनका 1. शारीरिक तथा मानसिक प्रभाव ।
SR No.010553
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyachandra
PublisherSaubhagyachandra
Publication Year
Total Pages547
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
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