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तपोमार्ग
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टिप्पणी:- अनुभवी द्वारा अनुभूत यह उत्तम रसायन है। भारमा के
समस्त रोगों को दूर करने की मात्र यही एक रामबाण औषधि है। दर्दियों के लिये इन्हीं उपायों को अपने जीवन में अजमा लेना और अपने जीवन का उद्धार कर लेना यह दूसरी औषधियों की तलाश में निरर्थक इधर उधर भटकते फिरने की अपेक्षा लाख दर्जे उत्तम है।
विद्या होने पर अहंकार भाव आजाना सहज संभव है। क्रिया में अज्ञानता, हठता अथवा जड़ता होने की संभावना है। तपश्चर्या में ज्ञान तथा क्रिया इन दोनों का समावेश होता है इसलिये महंकार, अज्ञान, हठता, तथा जड़ता का नाश कर जो पण्डित साधक भात्मसन्तोष, आत्मशान्ति, तथा आत्मतेज को प्रकट करते हैं वे ही स्वय. मेक प्रकाशित होकर तथा लोक को प्रकाश देकर अपने आयुष्य, शरीर, इन्द्रियादि साधनों को छोड़ कर साध्यसिद्ध होते हैं।
ऐसा में कहता हूँइस प्रकार 'तपोमार्ग सम्बन्धी तीसवां अध्याय समाप्त हश्रा।