________________
सम्यक्त्व पराक्रम
३४१.
(५३) शिष्य ने पूँछा-हे पूज्य ! मनोगुप्ति से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा-हे भद्र ! मन के संयम से जीव को एकाग्रता की प्राप्ति होती है और ऐसा एकाग्र मानसिक लब्धिजीव ही संयम की उत्तम प्रकार से आराधना कर
सकता है। (५४) शिष्य ने पूछा-हे पूज्य | वचन संयम से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा- हे भद्र । वचनसयम रखने से जीवात्मा विकार रहित होता है और निर्विकारी जीव ही आध्यात्मिक
योग के साधनों द्वारा वचन सिद्धि युक्त होकर विचरता है। ((५५) शिष्य ने पूँछा-हे पूज्य ! काय के संयम से जीव को
क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा- हे भद्र । कायसंयम से संवर ( कर्मों का रोध ) होता है और उससे कायलब्धि प्राप्त होती है और
उसके द्वारा जीव पाप प्रवाह का निरोध कर सकता है। ६(५६) शिष्य ने पूछा-हे पूज्य ! मन को सत्यमार्ग ( समाधि) में स्थापने से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा-हे भद्र! मन को सत्यमार्ग (समाधि) में स्थापित करने से एकाग्रता पैदा होती है और एकाग्रजीव ही ज्ञान की पर्यायों (मति, श्रुत आदि ज्ञानों तथा अन्य शक्तियों) को प्राप्त होता है। ज्ञान पर्यायों की