________________
सम्यक्त्व पराक्रम
होने से वह जीवात्मा शारीरिक तथा मानसिक दुःखो से
मुक्त होता है। ___ (४५) शिष्य ने पूछा-हे पज्य ! वीतराग भाव धारण करने से __ जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा-हे भद्र ! वीतराग पुरुष स्नेहबंधनों
का नाश कर देता है तथा मनोज्ञ एवं अमनोज्ञ, शब्द, रूप, . गंध, रस, स्पर्श इत्यादि विषयों में विरक्त हो जाता है। टिप्पणीः-वीतरागता यहां केवल वैराग्यसूचक है। (४६) शिष्य ने पूँछा-हे पूज्य ! क्षमा धारण करने से जीव को
क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा- हे भद्र ! क्षमा धारण करने से जीव विकट परिषहों को जीत लेने की क्षमता प्राप्त करता है। (४७) शिष्य ने पूछा-हे पूज्य ! निर्लोभता से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा हे भद्र ! निर्लोभी जीव अपरिग्रही होता है और उन कष्टों से बच जाता है जो धनलोलुपी पुरुषों
को सहने पड़ते हैं । निर्लोभी जीव ही निराकुल रहता है। (४८) शिष्य ने पूछा-हे पूज्य । निष्कपटता से जीव को क्या लाभ है ?
गुरु ने कहा-हे भद्र ! निष्कपटता से जीव को मन, वचन और काय की सरलता प्राप्त होती है। ऐसा सरल पुरुष किसी के साथ भी प्रवंचना ( ठगाई) नहीं करता. है और ऐसा पुरुष धर्म का आराधक होता है।